महाराजगंज , 11 मई 2024 : गोरखपुर में किराए पर रह रहे छात्र विकास कुमार शर्मा ने पुलिस अधीक्षक, महाराजगंज, उत्तर प्रदेश को एक विस्तृत शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि उनका बयान सीओ ऑफिस में गलत तरीके से दर्ज किया गया है और उन्हें झूठे मामले से बचाएं जाने के बजाय और फंसाया जा रहा है। इस पत्र में उन्होंने अपने बयान की सच्चाई को सिद्ध करने के लिए कई सबूत भी प्रस्तुत किए हैं।
घटनाओं का क्रम
विकास कुमार शर्मा ने अपने पत्र में लिखा कि 10 मई 2024 को उन्हें सीओ ऑफिस से फोन आया और उन्हें अगले दिन बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया। उन्होंने 11 मई 2024 को सीओ ऑफिस में उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराया और उस पर हस्ताक्षर भी किए।
विकास का दावा है कि उनके बयान का निस्तारण करते समय, उसमें कई गलतियाँ की गईं। उनका कहना है कि उनके बयान को इस तरह से लिखा गया जो उनके वास्तविक बयान से बिल्कुल अलग था। यह सब उन्हें झूठे मामले में फंसाने की साजिश का हिस्सा था।
विशेष घटनाएँ
शर्मा ने अपने पत्र में 30 सितंबर 2020 और 25 मार्च 2024 की दो घटनाओं का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों घटनाओं के दौरान वे गोरखपुर में थे और उन्होंने सीओ ऑफिस में अपनी उपस्थिति के सबूत के रूप में तस्वीरें और लोकेशन मैप प्रस्तुत किए। इन सबूतों में स्पष्ट रूप से डेट और समय दर्ज है, जो यह सिद्ध करते हैं कि वे उन घटनाओं के दौरान गोरखपुर में मौजूद थे।
विकास ने यह भी कहा कि उनके बयान को एक कागज पर नोट किया गया और उनसे हस्ताक्षर भी कराए गए, लेकिन उनके बयान का सही अभिलेख पुलिस अधिकारियों ने नहीं बनाया। इसके बजाय, उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया ताकि उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा सके।
पुलिस प्रशासन पर आरोप :
विकास कुमार शर्मा ने अपने पत्र में कहा कि संजय यादव, पुत्र सीताराम यादव, पुलिस चौकी और थाने के रसूख का फायदा उठाकर उन्हें झूठे मामलों में फंसा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने यादव की मदद करते हुए उनके खिलाफ गलत कार्रवाई की।
न्याय की अपील
विकास ने पुलिस अधीक्षक से न्याय की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस झूठे मामले के कारण उनका मानसिक उत्पीड़न हो रहा है और उनके भविष्य पर भी संकट मंडरा रहा है। उन्होंने पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया कि उन्हें न्याय दिलाया जाए और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
यह मामला पुलिस प्रशासन की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। उच्च स्तरीय जांच से ही सच्चाई का पता चल सकेगा और दोषियों को सजा मिल सकेगी। विकास कुमार शर्मा का यह पत्र न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता के महत्व को उजागर करता है।
G.news