सनातन जोड़ो पदयात्रा: राष्ट्र प्रेम और सामाजिक एकता का संदेश
बाबा बागेश्वर की सनातन जोड़ो पदयात्रा का उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना और भारतीय संस्कृति व परंपराओं को मजबूती प्रदान करना है। पदयात्रा के पहले दिन, बाबा ने राष्ट्र प्रेम को केंद्रीय महत्व देते हुए सामाजिक और धार्मिक एकता का संदेश दिया। उन्होंने इस दौरान राष्ट्रगान की महत्ता पर जोर दिया और यह मांग की कि मस्जिदों में भी राष्ट्रगान का पाठ होना चाहिए। यह बयान समाज के हर वर्ग को राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी और सम्मान व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है।
राष्ट्र प्रेम और बाबा बागेश्वर का संदेश
पदयात्रा के दौरान बाबा बागेश्वर ने अपने भाषण में कहा:
राष्ट्र सर्वोपरि: उन्होंने यह स्पष्ट किया कि धर्म, जाति और वर्ग से ऊपर, हर नागरिक का पहला कर्तव्य अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित होना है।
राष्ट्रगान की अनिवार्यता: मस्जिदों में राष्ट्रगान की मांग ने यह संदेश दिया कि भारत के हर कोने और हर धर्म के लोगों को भारतीयता के प्रतीक, तिरंगे और राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए।
एकता का संदेश: उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम समाज में सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्र प्रेम को बढ़ावा देगा।
कटाक्ष: बाबा बागेश्वर ने ओवैसी के 15 मिनट बयानों को कटाक्ष किया और कहा कि हम हिंदुओं को 5 मिनट चाहिए हिंदू को एक करने के लिए । हम मारने काटने में नहीं बल्कि जोड़ने के भाव रखने वाले सच्चे सनातनी हैं। यह भीड़ जगे हुए हिंदुओं की है जो हिंदू राष्ट्र बना कर रहेगा।
लोगों का उत्साह और भीड़ का उत्साह
इस पदयात्रा में भारी संख्या में लोग शामिल हुए, जिनमें हर उम्र और वर्ग के लोग थे।
विशाल भीड़ का समर्थन: पदयात्रा के पहले दिन हजारों लोग शामिल हुए, देश व विदेश के हिंदू जिनमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोग, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी ने बाबा के विचारों को समर्थन दिया।
संघर्ष और प्रेरणा: बाबा ने अपने वक्तव्यों में यह भी कहा कि यह यात्रा हिंदू समाज को आपस में जोड़ने और बाहरी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने का प्रयास है।
भीड़ की प्रतिक्रिया
यात्रा में शामिल लोगों ने बाबा के विचारों पर अपनी सहमति व्यक्त की और उनके नेतृत्व की सराहना की।
लोगों ने राष्ट्रगान को अनिवार्य बनाने की मांग पर जोर दिया।
युवाओं में विशेष उत्साह देखा गया, जो इस यात्रा को हिंदू एकता और राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक के रूप में देख रहे थे।
भीड़ ने “भारत माता की जय” और “जय सनातन धर्म” के नारों के साथ अपनी भावनाओं को प्रकट किया।
सनातन जोड़ो पदयात्रा का उद्देश्य
सामाजिक एकता: जातिगत और धार्मिक विभाजनों को समाप्त कर, हिंदू समाज को एकजुट करना।
राष्ट्रवादी दृष्टिकोण: हर नागरिक में राष्ट्रभक्ति और भारतीयता की भावना को बढ़ावा देना।
सनातन धर्म का जागरण: सनातन धर्म के आदर्शों और मूल्यों को पुनः समाज के केंद्र में स्थापित करना।
निष्कर्ष
बाबा बागेश्वर की यह पदयात्रा न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन है। राष्ट्रगान को सभी धर्मस्थलों पर अनिवार्य करने की उनकी मांग समाज के हर वर्ग को राष्ट्र प्रेम की एक डोर में बांधने का प्रयास है। भारी भीड़ और लोगों के उत्साह ने यह दिखा दिया कि बाबा के विचार न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि समाज में गहरी छाप छोड़ रहे हैं।
बाबा बागेश्वर की सनातन जोड़ो पदयात्रा एक धार्मिक आंदोलन से बढ़कर सामाजिक और राष्ट्रीय पुनर्जागरण का प्रतीक बन रही है। राष्ट्रगान की मांग, धर्मांतरण के खिलाफ चेतावनी, जातिवाद के उन्मूलन और महिला व युवा सशक्तिकरण पर जोर इसे समाज के हर वर्ग से जोड़ता है। यह यात्रा भारतीय समाज को उसकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने और एक नई दिशा देने का प्रयास है।
प्रेस रिपोर्टर
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